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नमस्कार दोस्ोों, आप सभी का हमारे चैनल पर स्वागत करता हु,

दोस्ोों आपने हस्रे खा ज्योततष शास्त्र के बारे में सुना तो होगा है , प्राचीन काल के ऋतष मु तन
अपनी योग तिद्या से लाखो लोगो के जीिन का अध्ययन कर हस् रे खा ज्योततष शास्त्र का तनमाा ण
तकया था, मन जाता है की मनु ष्य की हथेली पर बनी रे खाए उसके भतिष्य के के बहोत से राज
खोलती है .

सभी मनु ष्योों की रे खाये एक सामान नही होती, तजस तरह उनका स्वभाि अलग होता है उसी
तरह उनके हाथो की रे खाएों भी एक दु सरे से मे ल नहीों खाती है ,

ले तकन तजन लोगो को रे खाएों मे ल खाती है उनका स्वभाि भी एक जै सा ही होता है और उनके


भतिष्य की अने क कतियाों भी एक दु सरे से जु िी होती है ,

आज हम आपको ज्योततष शास्त्र में बताई गयी हथे ली पर बनी रे खाओ के बारे में महत्वपूणा
जानकारी बताने जा रहे है,

हथे ली पर अर्ा चन्द्र का अकार बनना बहुत ही शु भ माना गया है , जब हम दोनोों हथे तलयोों को
जोड़ते है तो हथेली पर बनी रे खाएों तमलकर अर्ा चन्द्र बनाती है , और ऐसा चााँ द हथे ली पर बनना
आपके शीतल स्वभाि को दशाा ता है , जै से की चााँ द.

तजन लोगो की हथेली पर अर्ा चााँ द बनता है िो रोमाों तिक स्वभाि के होते है , मतहलाएों ऐसे पुरुषो
की तरफ आकतषा त होती है , और पुरुष ऐसी मतहलाओों की तरफ आकतषा त होते है ,

भले ही ये लोग तदखने में जादा खु बसूरत न हो, ले तकन बाते करने में इनका कोई मु काबला नहीों
कर सकता, इनका तदमाग बाकी लोगो से जादा तेज होता है ये बेतुकी बाते करना पसोंद नहीों
करते, ले तकन ये तकसी भी तिषय को रोमाों चक बना दे ते है तजस कारन से दु सरे लोग इनको
सुनना काफी पसोंद करते है ,

इन लोगो को तजज्ञासु भी कहा जाता है , जबतक ये तकसी चीज को पूरी तरह से समझ नहीों
ले ते, या उसके बारे में पूरी तरह से जानकारी पा नतह ले ते, तब तक ये उसपर यकीों नहीों
करते.

ज्योततष शास्त्र की ये जानकारी सुनकर भी उनको इसपर यकीों नहो होगा, क्ोों की उनका स्वभाि
ही ऐसा होता है . ये जबतक तकसी भी जानकारी को परख नहीों ले ते उसपर यकीों नहीों करते.

इन लोगो को काम के िक़्त अकेला रहना पसोंद होता है , क्ोों की इनको स्वयों पर जादा भरोसा
होता है , इनको लगता है की ये हर काम अकेले ही कर सकते है , इन्हें तकसी और की मदत
ले ने की कोई आिश्यकता नहीों है .

इनका काम कोई और करने लगे तो उन्हें तचि होने लगती है और इन्हें घुस्सा भी आने लगता है .

हथे ली पर अर्ा चन्द्र बनना कुदरती है , और कुदरत ऐसे लोगो की काफी मदत भी करती है ,
इनको जीिन में कई मौके तमलते है , ले तकन ये बहोत से मौको को ऐसे ही छोड़ दे ते है , ये उन
मौको को स्वयों के लायक नही समझते, इनको कुछ बड़ा करने की चाह होती है , तजसकी िजह
से ये छोिे छोिे कामो पर जादा ध्यान नहीों दे ते है . ले तकन इन लोगो को घूमना जादा पसोंद नहीों
होता, क्ोों की ये बेिजह घूमकर अपना समय गिाना नहीों चाहते है .

दु सरे लोग तजनके हाथो पर अर्ा चन्द्र नहीों बनता िो घुमने के काफी शौक़ीन होते
तजन लोगो के हाथो पर अर्ा चन्द्र नहीों बनता, उन्हें उनसे उम्र में बड़े लोगो के साथ रहना काफी
पसोंद है , ऐसे पुरुषो को उम्र में बड़ी औरते जादा अतछ लगती है , और ये ऐसी औरत से शादी
करना भी पसोंद करते है , तजन लड़तकयोों के हथेली पर अर्ा चााँ द नहीों बनता िो शादी कर तकसी
दु सरे दे श में जाके सेिल होती है .

तो दोस्ोों क्ा आपके भी हथे ली पर अर्ा चन्द्र बनता है , अगर हाों तो हमें कमें ि्स में जरुर
बताये.

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